जिस तरह किसी वस्तु को रखने के लिये खाली स्थान की आवश्यकता होती है ठीक वैसे ही अपने अन्दर की बुराइयों को छोड़कर अच्छाइयों के लिए स्थान रिक्त रखें, उक्त प्रवचन मंगलवार को जैन मुनि प्रश्मानंदजी महाराज ने कस्बे के चन्द्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर में दिए। मुनिश्री ने कहा कि अपनी बुराइयों को जानते तो सभी है, लेकिन मानता कोई नहीं है। एक चोर रात के समय चोरी करता है, उसे पता है कि चोरी करना एक गलत काम है। इसलिए वह रात को करता है और मानता भी है कि यह एक बुराई है, इसलिए पकड़े जाने के डर से भागता भी है। अच्छाइयों को ग्रहण करने के लिए अपने अन्दर की बुराइयों को खत्म करना होगा और उन्हें खत्म करने का मार्ग देव-शास्त्र-गुरू ही बताते है। बुराइयां आसानी से मिल जाती है जबकि अच्छाइयों को पाने के लिए गहराई में जाना पड़ता है। पानी लेने के लिये जब भी कुआं खोदा जाता है तो पहले उसमें मिटटी आदि निकलता है उसके बाद मीठा पानी मिलता है इसलिए अच्छाइयों को पाने के लिए गहराई में जाना पड़ता है। मुनिश्री शिवानंदजी महाराज ने कहा कि जिनेन्द्र भगवान के दर्शनों से ही जीव अपने इस भव सहित परभव को सार्थक बना सकता है। जिनवाणी की बातों को सुनकर उन्हें अपने अन्दर ग्रहण करने से मानव जीवन सार्थक बन सकता है। मुनिश्री के प्रवचन सुनने के लिए स्थानीय जैन समाज के महिला एंव पुरूष मौजूद थे। जैन समाज अध्यक्ष महेन्द्र जैन ने बताया कि मुनिसंघ ने दोपहर बाद जुरहरा से कामां के लिए विहार किया। मुनिसंघ का जम्बू स्वामी तपोस्थली बौलखेड़ा पहुंचने का कार्यक्रम है।
अच्छाइयों को ग्रहण करने के लिए अपने अन्दर की बुराइयों को खत्म करे : जैन मुनि