इंसान का जीवन सत कर्मों के सहारे से ही सुखमय होता है : आचार्य विनम्र सागर

कस्बे के जैन मंदिर पर उच्चारणाचार्य 108 विनम्रसागर जी महामुनिराज ने कुम्हेर में एक दिवसीय प्रवास के दौरान जैन धर्मावलंबियों को प्रवचन देते हुए कहा कि इंसान का जीवन सतकर्मों के सहारे ही सुखमय औऱ कष्टहीन सम्भव है। उन्होंने गुरु महिमा के बारे में बताया कि सच्चे और सदमार्ग पर सीख देने वाले ही गुरु की संगत करनी चाहिए ताकि अच्छे औऱ बुरे का ज्ञान मिल सके। इस मौके पर आचार्य मुनि विनय सागर, विनत सागर, विणय सागर, विनन्द सागर, विनुत सागर थे। आर्यिका विमलश्री, विनयश्री, वितपश्री, विश्रमश्री, विपुलश्री, विश्रेयह विमुद्दश्री थी। एलक विश्वपुण्य सागर, विप्रव सागर थे। छिलका विराज श्री थी।